मैं एक पतंग हूँ
रंगों की कमी नहीं मुझको
मेरे आसमां की मैं उमंग हूँ
मैं एक पतंग हूँ ।
इस हवा से गहरा नाता है मेरा ,
कभी शत्रु कभी मित्र का रूप रख आती है,
पर जब ये नहीं आती है … तब मेरी ही कीमत
नहीं किसी ने आंकी है ।
एक मासूम खिलखिलाहट का मैं संग हूँ,
मैं एक पतंग हूँ ।
रण-क्षेत्र में ,प्रतिद्वंदियों से जो भिड जाऊं,
अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते तुम मेरी गति का ,
अपन साथ बांध कर उडती हूँ मैं ,
किसी की मदमस्त आकांशाओ की लतिका ।
किसी कुंठित मन में उठती मैं जीत की तरंग हूँ ।
मैं एक पतंग हूँ ।
मेरी आज़ादी की मिसाल देते लोग,
पर डोर किसी और के हाथ,
वो मेरे "मार्ग-दर्शक" कहलाते हैं
मैं राह भटक न जाऊं कहीं ,
ये कह कर मेरे मन को बहलाते हैं ।
किसी आज़ादी के लिए छिड़ी मैं एक जंग हूँ ।
मैं एक पतंग हूँ ।
पूरा आसमां मैं नाप लेना चाहती हूँ ,
हवाई बाँध तोड़ कर,
अपनी राह की स्वामिनी जो बन गई मैं भी,
तो मरे हुनर की पताका भी लहराएगी कभी ।
सच कहूँ तो तुम्हार ही मन का मैं कोई अंग हूँ ।
मैं एक पतंग हूँ । ।