Thursday, 24 April 2014

उसी पहाड़ पर...







बहते बादलों के बीच 

चमकती धार के नज़दीक
टूटी फूटी हिंदी में उलझती
मचलते रास्ते में सुलझती
बे मतलब बे परवाह सी
कभी लगता है आगाह सी
.......
मैं खुद को छोड़ आई हूँ..
वहीँ .... उसी पहाड़ पर...