मेरे सपने
नहीं हैं सरसों के पीले खेतों के
न बाज़ार में बिकते भेदों के
ये तो बस हरियाली के दीवाने हैं
मेरे सपने
न ऊँची कनक मुंडेरों के
न कागज़ के टुकड़ों के डेरों के
बस रिश्तों की आँच पे पकी मिट्टी के अफ़साने हैं
मेरे सपने
नहीं हैं सरसों के पीले खेतों के
न बाज़ार में बिकते भेदों के
ये तो बस हरियाली के दीवाने हैं
मेरे सपने
न ऊँची कनक मुंडेरों के
न कागज़ के टुकड़ों के डेरों के
बस रिश्तों की आँच पे पकी मिट्टी के अफ़साने हैं
मेरे सपने
आसमान पे किस्मत के तारे नहीं
राह देखते मूक किनारे नहीं
ज़मीन के सीने में बसी खुशबू के तराने हैं
मेरे सपने
नहीं हैं काजल बिंदी गहने चूड़ियाँ
मन को जकड़े छलिया बेड़ियाँ
ये चेहरे पे रैशन मुस्कान के पैमाने हैं
मेरे सपने
न तुमसे जुडी यादों का पुलिंदा कोई
न प्रेम नगर का बाशिंदा कोई
अनकही कहानी और पिया के बंधन बचकाने हैं
मेरे सपने
इश्क़ नहीं कोई सोचा समझा
न फटी पतंग का उलझा मांझा
भटक कर खुद को पाने के सफ़र सुहाने हैं
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