सिर्फ एक अच्छे रिश्ते के तराज़ू में न तौलिये मेरी आक़बत
कुछ दिन को भाड़ में सब उसूल अब जाएँ
कल ऐसा करेंगे , परसों वैसा करेंगे !
इस आज का क्या करिये ? अव्वल ये धूल हटाएं
परिंदों को मिली है बेपरवाह उड़ान की सलाहियत
हम भी उड़ने लगें , जो सरहदों के नक्श भूल जाएं
मोहब्बत-नामे कई लिखे , और उड़ाए आसमां की ओर
एक-तरफ़ा सी वहशत है , ना मन क़बूल कर पाए
सबने जो मजबूरियां उठा कर लटका दी उसके गले में
वो ख़ुदा है ! उसको तो ये फूल ही नज़र आएं
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