नहीं नफ़रतों से हासिल कुछ भी जब किसी को
तो कैसे घोंसला तोड़ देता है कोई परिंदों का
किसी के शौक बिकते हैं हाट में झिलमिलाते
कोई ज़रूरतें जुटाता है भीख सा - चंदों सा
है शुक्र कि बाकी है इतनी इंसानियत - ऐ -मोहब्बत
दिल दुखता है जो सर कटे नापाक दरिंदों का
मेरे सर पे ऐसे रख दो मोर-मुकुट प्यारे
कुछ बोझ कम हो जाए , सांस आए ज़िन्दों सा
अच्छा आदमी होने का एक भ्रम-सा है मैंने पला
जिस क़ैद में रहता है , वो एक जाल है पसंदों का
किस ओर मेरा घर है ? था किस धार मुझको बहना ?!?
बस वो डगर मिला दे मालिक , जहाँ शहर तेरे बन्दों का
तो कैसे घोंसला तोड़ देता है कोई परिंदों का
किसी के शौक बिकते हैं हाट में झिलमिलाते
कोई ज़रूरतें जुटाता है भीख सा - चंदों सा
है शुक्र कि बाकी है इतनी इंसानियत - ऐ -मोहब्बत
दिल दुखता है जो सर कटे नापाक दरिंदों का
मेरे सर पे ऐसे रख दो मोर-मुकुट प्यारे
कुछ बोझ कम हो जाए , सांस आए ज़िन्दों सा
अच्छा आदमी होने का एक भ्रम-सा है मैंने पला
जिस क़ैद में रहता है , वो एक जाल है पसंदों का
किस ओर मेरा घर है ? था किस धार मुझको बहना ?!?
बस वो डगर मिला दे मालिक , जहाँ शहर तेरे बन्दों का
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