Saturday 27 August 2016

#दाना मांझी


पंजर के भीतर क़ैद ह्रदय में , जो एक "हाँजी" होता
भीड़ अंधी-गूंगी न होती , हर दरिया का माँझी होता

वातानुकूलित कमरे से निकल ,कोई सुख - दुःख का सांझी होता
न कोई कालाहांडी होती , न कोई दाना मांझी होता