Friday 21 August 2015

न जाने कहाँ बादलों ने



 न जाने कहाँ बादलों ने क़हर ढाया है !
मेरे घर से तो एक ऐमन आसमां ही दिखता है

अब कब तक सुनते वो भी दास्तां-ए-अल्मिया
यहाँ हर आदमी में एक मंसूख शहर दिखता है

फ़ौत हो जाते हैं इश्क़ में , कितने ख़्वाब कहानी किस्से
और जंग में हर सख़्श एक रंग दिखता है

दूर से ही भाती हैं दरवेशनियाँ और फकीरनियाँ सबको
लिबास-ए-ज़िन्दगी में बीवी का ही बटन टिकता है

 न कोई चाह सका मेरे ये कालिख़ पुते चेहरे
यहाँ आइनों में भी रौशन-ज़बीं बदन बिकता है

मन के तारों से जुड़ जाते , ऐसे नहीं हैं लोग यहाँ
ज़र की भट्टी में रिश्ते - नातों का ज़मीर सिंकता है



(ऐमन - safe, secure, happy
अल्मिया - tragedy
मंसूख - abolished
फ़ौत - to die, dead
दरवेशनियाँ - it means mendicant, a saint, but here it is intended to use in the meaning of a scholar lady, a lady who is intelligent, ambitious, a flapper, depend on herself always, and know how to stand for the things in which she believes in., and do not much about a world out there.
रौशन-ज़बीं - bright faced
ज़र - money )

मज़हबों के परे कोई इश्क़




मज़हबों के परे कोई इश्क़ जो बसा है
जहाँ होली दिवाली ईद बैसाखी , एक जैसा ही नशा है 
एक ही माँ है हम सबकी , 
एक ही हम सबका खुदा है
कभी पगड़ी , कभी टोपी , कभी बुरखों में कसा है
अर्श से फर्श तक लिखी कहानी क़ुर्बानी की 
ख़ातिर मिट्टी की सब खोने अब हमारी परीक्षा है
हमारा दिमाग हवा इश्क़ दरिया और दिल शीशा है
भारत के हम वासी बस काफ़ी ये ज़ुनून सा है
छू लेंगे हम किसी रोज़ , वो आसमां भी 
किसी सच्ची सी आज़ादी का जहाँ कहकशां है



Friday 14 August 2015

A small tribute to Missile Man - APJ Abdul Kalam




वो जैसे लगता है ना
की सर से कोई साया छिन जाए
घर का कोई बड़ा न हो तो
आँगन रौनक बिन सताए
बूढ़ी आँखों से देखी थी
जैसी दुनिया तुमने अब तक
उन किस्सों का ये चाव
मन न भूले से भुला पाए
जिसके होने से लगता हो
कोई है, तो है सब सुरक्षित
और न दिखे जो छड़ी कोने में
तो घर सूना चिल्लाए 

ऐसे ही तुम थे
मेरे देश के लिए ... पिता 

उन बेहद चंद दिनों में से एक
जब किस्मत अपने चरम पर थी
और मैं उनसे मिली ...
a man ... inspiration-patriotism-morality-personified! a man who lived a life above all that they call religion and community...
May his soul rest in peace

सिर्फ एक अच्छे रिश्ते

सिर्फ एक अच्छे  रिश्ते के तराज़ू में न तौलिये मेरी आक़बत 
 कुछ दिन को भाड़ में सब उसूल अब  जाएँ 

कल ऐसा करेंगे , परसों वैसा करेंगे !
इस आज का क्या करिये ? अव्वल ये धूल हटाएं

परिंदों को मिली है बेपरवाह उड़ान की सलाहियत
हम भी उड़ने लगें , जो सरहदों के नक्श भूल जाएं

मोहब्बत-नामे कई लिखे , और उड़ाए आसमां की ओर
एक-तरफ़ा सी वहशत है , ना मन क़बूल कर पाए

सबने जो मजबूरियां उठा कर लटका दी उसके गले में
वो ख़ुदा है ! उसको तो ये फूल ही नज़र आएं