Wednesday 31 July 2013

बूंदे









कांच पर खरौंदे बनती बूँदें
हर बार की कोशिश , बार बार की कोशिश
फिसलती, संभलती
यहाँ - वहाँ भागती ,
फिर उस पार से झाँकती ,
बदहवास बूँदें ।।



बेपहरी नींद से जागती बूँदें ,
खुदी में मेरे अक्स को बांधती बूँदें
हिल मिल कर सफ़र नापती बूँदें ,
टपक कर आसरे से ख़ाक में दफ़न होना है
ये नायाब बसीरत बाँटती बूँदें ।।


Tuesday 23 July 2013

पतंग





मैं  एक पतंग हूँ
    रंगों की कमी नहीं मुझको
मेरे आसमां की मैं उमंग हूँ
     मैं एक पतंग हूँ ।



इस हवा से गहरा नाता है मेरा ,
कभी शत्रु कभी मित्र का रूप रख आती है,
पर जब ये नहीं आती है … तब मेरी ही कीमत
नहीं किसी ने आंकी है ।

एक  मासूम खिलखिलाहट का मैं संग हूँ,
मैं एक पतंग हूँ ।



रण-क्षेत्र में ,प्रतिद्वंदियों से जो भिड जाऊं,
 अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते तुम मेरी गति का ,
अपन साथ बांध कर उडती हूँ मैं ,
किसी की मदमस्त  आकांशाओ की लतिका । 

किसी कुंठित मन में उठती मैं जीत की तरंग हूँ । 
मैं एक पतंग हूँ । 




मेरी आज़ादी की मिसाल देते लोग,
पर डोर किसी और के हाथ,
वो मेरे "मार्ग-दर्शक" कहलाते हैं  
मैं राह भटक न जाऊं कहीं ,
ये कह कर मेरे मन को बहलाते हैं । 

किसी आज़ादी के लिए छिड़ी मैं एक जंग हूँ । 
मैं एक पतंग हूँ । 




पूरा आसमां मैं नाप लेना चाहती हूँ ,
हवाई बाँध तोड़ कर,
अपनी  राह की स्वामिनी जो बन गई मैं भी,
तो मरे हुनर की पताका भी लहराएगी कभी । 

सच कहूँ तो तुम्हार ही मन का मैं कोई अंग हूँ । 
मैं एक पतंग हूँ । ।