Saturday 30 August 2014

by anonymous.... :)

Koi Aisa Pal Bhi Huwa Kare

Main Kahun To bas wo suna kare

Meri Fursatien Mere Mashghaley

Sabhi Apne Naam wo Likha Kare

Koi Baat Ho Kisi Shaam Ki

Koi Ziker Ho kisi Raat Ka

Jo sunane baithun use kabhi

Wo sune to sun ke hansa kere

jo main kahun chalo us nagar

jahan jugnuon ka huzoom ho

Wo palat ke dekhe meri taraf

Aur muskura ke pagal kaha kere !!!

Friday 29 August 2014

एक दिन.…

एक दिन.………

एक दिन हम फरार पत्तों से ....
छोड़ कर पेड़ों की पनाह
उलझ कर हवा से.…
अलविदा कह महफूज़ कोख़ को.....
उड़ जाएंगे लापता  … एक दिन।

एक दिन ख़ामोश बैठे हुए...
गीली रेत में लिपटे पाँव…
ख़ुशक हवा को ओढ़े ज़ुल्फ़
आँखों में नीलापन समेटे....
समुन्दर से सूरज उगाएँगे…  एक दिन।

एक दिन जब तनहा झोंके में.....
शगुफ़्ता गीतों की सरगम उगेगी
मेरे कानों को बस उसी की तलब.....
मदहोश सन्नाटों के जहां में.…
एक परछाईं से घर बनाऊँगी… एक दिन।

एक दिन मैं कदम बढ़ाऊँगी…
 कागज़ पे खुद बिछ जाऊँगी …
कलम से तुम्हें बनाऊँगी....
तस्वीर हो चाहे मुख़्तसर...
पर मैं तुम्हे समझ जाऊँगी… एक दिन।

एक दिन सब मुफ़्त होगा …
साँसो में न कुफ़्र होगा …
लह्ज़ो में न होगी तल्ख़ी  …
आँखों में लफ्ज़ भर के  …
हर कहानी को अंजाम दिखाऊँगी … एक दिन। 

Sunday 3 August 2014

मेरा तेरा






तेरा मुस्कुराना ,
मेरा हंस के टाल जाना ,
तेरा बात बढ़ाना ..,
मेरा पलट के वापिस आना
तेरा वो अल्हड़ सा सवाल,
मेरा वो बेफ़िक्र उड़ता जवाब..
तेरा फिर नज़दीकी का एहसास
मेरा महसूस करना कुछ ख़ास
तेरी जन्नतों की ख़्वाहिश
मेरी ख़्वाहिश तेरी जन्नत
तेरा हर वक़्त का ख़्याल
मेरे ख्यालो का बवाल
तेरा एक अजनबी सा साथ
मेरे लिए तारों वाली रात
तेरी पनाह मस्सरतों के घर
मेरी ज़ीस्त जिसके बिना बे-घर
तेरा एक दायरा पार करना
मेर लिए जैसे मरकज़ का बनना
तेरा मुझको खुद में शामिल करना
मुझको इस शरीक़ी में सबसे दूरी
तेरा आना जैसे दीयों में हरियाली
मुझको जलने में भी अब खुशहाली
तेरा कॉफ़ी की चुस्कियों में मिलने का वादा
मेरा मिठास में घुलने का इरादा
तेरा लफ़्ज़ों से ग़ैर-मुतासिराना
मेरा उन्हीं लफ़्ज़ों से दिल लगाना
……और फिर..............
तेरा राह गुज़रते भी न देना दरवाज़े पे दस्तक
मेरे लिए चौखटों में अब बसने लगी रौनक
तेरे लिए होंगे जैसे चेहरे हज़ार
मेरा तेरी चिंता में पिघलता विचार
तेरा फिर पलट कर आवाज़ न देना
मेरा बे-मक़सद रूठना-मनाना
तेरे लिए कश्मकश का दौर
मेरे लिए अजनबी ख़ामोशी का शोर
तेरे लिए एक मौके की चूक
मेरे लिए एक ज़िन्दगी गई गुज़र
तेरा एक खुरदुरी आवाज़ से रिश्ता
मेरा रक़ीब अब इस रिश्ते का बस्ता
तेरा मूक बंधन
मेरी दनदनाती रिहाई
तेरे ललाट का चन्दन
मेरे नूर की विदाई
तेरी मजबूरी के किस्से
मेरी डायरी के बने अब हिस्से
तेरा फिर बेहिस सा अंदाज़
मेरे ख़ौफ़ का बने इलाज़
तेरा जैसे ज़िम्मदारी से फ़ारिग होना
मेरा यकीन न हज़म कर पाना हनूज़
तेरा ग़फ़लत में चिलमिलाता चाँद
मुझको बेदारी में जगमगाता उन्मांद
तेरा वज़ूद जैसे बंजर ज़मीन
मेरा बरसता सावन का मौसम
तेरा वास्ता एक नई सड़क से
मेरा कच्चे रास्ते से प्यार
तेरा अनकही कहानी का मोह
मेरा कह दी गई से दुलार
तेरा अब यूँ रह जाएगा असर
मुझमें जैसे "भोले"पन का बसर
तेरा तुझमें सब यूँ का यूँ रह जाएगा
मेरा-तेरा न कभी था , न बन पाएगा।।