Saturday 20 May 2017

एक आसान सी ज़िन्दगी

एक आसान सी ज़िन्दगी जैसे हासिल ही है
मुसलसल सी एक तलाश की मंज़िल ही नहीं

बना कर जिस्म मिट्टी का , फ़ौलाद भरा सीने में
मेरी उस माँ की नेमतों के तू काबिल ही नहीं

नापी कितनी चौखटें , झुकाया सर को सजदे में
न गाया हो तेरा किस्सा , ऐसी महफ़िल ही नहीं

न जुबां पे आता है, न दिल में समाता है
बराबर सख़्त है ये डर , सिर्फ संगदिल ही नहीं

धौंकनी सी चलती है , दिन रात सीने में
इस मामले में चलो माना ! ,मुझसा बुज़दिल ही नहीं

ज़रा धीरे चल ज़िन्दगी , सँभलने का तो मौका दे
नहीं ये खुशदिली की राह , सफ़र कामिल ही नहीं
(कामिल - complete , perfect )

ख़ुदी को बना के ख़ुदा , ख़ुद  का ही सहारा है
सबक़ आसान था , पर मुझसा कोई जाहिल ही नहीं