Monday 6 June 2016

होंठों पे जादू , चाहे दिल में तूफ़ान

होंठों पे जादू , चाहे दिल में तूफ़ान
क्योंकि आप अपना मरहम है
भाईसाब ! यहाँ की यही रीत
गोया हम में ही कुछ कम है

है सब पानी , बहता बड़ी तेज़
मेरी ही चाल मद्धम है
उस पार हैं कबके टाप गए सब
क्यों रुका मेरा ही कदम है

दो घड़ी जो रुक कर सुन ले बस
मेहबूब का बड़ा करम है
अब हवा , मुरादें , पंछी हैं कहाँ
ये तो बस कल के भरम हैं

मेरा हाथ थाम के चलदे बस
ये इतना कहाँ तूझमें दम है
गिर कर ही चलना सिखाती है
ज़िन्दगी का हंसीं सितम है

मुझे फिर भी यूँ रह जाने पे नाज़
बस आँख ज़रा सी नम हैं
तकमील परस्ती में क्या उम्र गंवाएं !
ज़िन्दगी ये आवारा सनम हैं

है मेरा अपना ये साया तब तक
जब तक बस हम में हम हैं
कोई और बनने में गँवा दिया
 तो बेकार गया ये जनम है






तकमील - perfection / perfectionist 

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