Saturday 20 June 2015

मैं इंसान हूँ ! -- For all the lovely girls and ladies and woman out there !



नहीं कोई ठोकर खाया पाँव हूँ 
न ही नासूर बनता घाव हूँ 
नहीं कोई जल गई रोटी की ज़िल्लत 
न ही छोटे बालों की फजीहत
न मेरे गेंहुए रंग को लजाइये
वो आड़ी-तिरछी लिखावट पर मत जाइए
शायद डिग्रियों का ढेर न हो पाऊँ
और सलीके से शायद हर बात न कह पाऊँ
नहीं हूँ केवल अंग्रेजी बोलते हिचकते होंठ
और बदन एक छुपा सा , सलवार कमीज की ओट
नहीं कोई अक्षर एक कंधे पे गुदा हुआ
न ही सुनहरे-रंगे बालों में कुछ छुपा हुआ
इस घर में ठहरे कुछ  सालों की मेहमान नहीं
चेहरे कम देखे हों , फितरतों से अनजान नहीं
 मोटर दौड़ाती कोई वाहियात ग़लती नहीं हूँ
हमेशा ही आँसू देख कर पिघलती नहीं हूँ




मैं आँखों में चमकते सितारे हूँ
जिस्म में छुपे हिरन मतवारे हूँ
ख्यालों का बंजारापन हूँ
वक़्त से कदम मिलाता आवारापन हूँ
ये चूड़ी बिंदी गहने-गांठे मेरे अरमान हैं
फिर मैंने ही तुमको अर्पित किये सम्मान हैं
मैं हूँ मुस्कानों के कंवल
मेरे आँखों में बसते कल के महल
मैं कर्तव्यों को खुद में समाये एक जहां हूँ
न कोई देवी , न धरोहर , न ही महान हूँ
ग़लतियों पर झेंपती , फिर नई दौड़ को तैयार हूँ
अश्क़ों को नहीं मैं बनाती हथियार हूँ
तस्वीरों  में खुद को क़ैद करती एक याद हूँ
ये कालिख़ आपकी नज़रों से हट जाए, ये फ़रियाद हूँ
कोई उलझी पहेली नहीं, एक कहानी आसान हूँ
एक छोटी सी सूचना  , सबसे पहले मैं एक इंसान हूँ

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