Friday 14 August 2015

सिर्फ एक अच्छे रिश्ते

सिर्फ एक अच्छे  रिश्ते के तराज़ू में न तौलिये मेरी आक़बत 
 कुछ दिन को भाड़ में सब उसूल अब  जाएँ 

कल ऐसा करेंगे , परसों वैसा करेंगे !
इस आज का क्या करिये ? अव्वल ये धूल हटाएं

परिंदों को मिली है बेपरवाह उड़ान की सलाहियत
हम भी उड़ने लगें , जो सरहदों के नक्श भूल जाएं

मोहब्बत-नामे कई लिखे , और उड़ाए आसमां की ओर
एक-तरफ़ा सी वहशत है , ना मन क़बूल कर पाए

सबने जो मजबूरियां उठा कर लटका दी उसके गले में
वो ख़ुदा है ! उसको तो ये फूल ही नज़र आएं





No comments:

Post a Comment