Wednesday 2 July 2014

कुछ मसले....

कुछ मसले तुझसे कहने के
कुछ मसले बस चुप रहने के ।


कुछ मसले पल भर की मुस्कान
कुछ मसले बस जैसे पहचान ।


कुछ मसले उम्मीदों के घर
कुछ मसले मायुसी के मंज़र ।


कुछ मसले इंतज़ार की आड़
कुछ मसले हैं नखरों की बाढ़ ।


कुछ मसले पानी का ज़र्रा
कुछ मसले आसमान गहरा ।


कुछ मसले लत्ते कपड़े की फ़िक्र
कुछ मसले हैं बंगलों का ज़िक्र ।


कुछ मसले आंखों का पानी
कुछ मसले हँसी है रूमानी ।


कुछ मसले नज़दीकी के घर
कुछ मसले दूरी के क़हर ।


कुछ मसले "उसकी"  टेढ़ी नज़र
कुछ मसले हालातों के सर ।


कुछ मसले हैं हल के नज़दीक
कुछ मसले माँगे खात्मे की भीख ।


कुछ मसले आंखों की ज़ुबान
कुछ मसले माँगे खुद का बखान ।


कुछ मसले परिन्दों की वापसी
कुछ मसले विदेश की छाप सी ।


कुछ मसले खोजें कॉफ़ी की मेज़
कुछ मसले वक्त से भी तेज़ ।


कुछ मसले तेरी राह ताकते
कुछ मसले बस एक बोल को झांकते ।


कुछ मसले बिन कहे भी समझो
कुछ मसले.. अबके न जल के बुझो । ।

2 comments:

  1. कुछ मसले तेरी राह ताकते
    कुछ मसले बस एक बोल को झांकते

    कुछ मसले खोजें कॉफ़ी की मेज़

    I can read it over and over again. I love!!!! :) the expressions, the use of words.

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    1. Thanku for reading it :) my heart skips a bit when i get a comment like this. . . Thanku ;)

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