Thursday 24 July 2014

ज़िन्दगी






एक ज़िन्दगी बिखरी पड़ी है हर कदम पर,
हम चले जा रहे हैं बेखबर

झूठ मूठ के चोचले
ना तेरे, ना मेरे घोंसले.. 

किस तरह एक ज़िन्दगी ज़ाया किये दे रहे हैं !!

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